हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोलने वाले बिजली एवं परिवहन मंत्री अनिल विज ने बुधवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में आधे घंटे की देरी से पहुंचकर अपनी नाराजगी जताई। इस बैठक से पहले ही सरकार ने कैबिनेट मीटिंग का वीडियो जारी किया, जिसमें अनिल विज का नाम गायब था, और इससे ये भी अंदाजा लगाया जा रहा था कि शायद वह बैठक में शामिल न हों। हालांकि, विज ने बाद में मीटिंग में भाग लिया, लेकिन उनकी देरी और तेज तेवरों से उनकी नाराजगी साफ झलक रही थी।
सीएम सैनी को गद्दार तक कह चुके हैं विज
कुछ दिन पहले अनिल विज ने सोशल मीडिया पर सीएम नायब सैनी पर हमला बोलते हुए कहा था कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुछ नेताओं ने भितरघात किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि वे नेता आज भी मुख्यमंत्री सैनी के करीबी दोस्त बने हुए हैं। अनिल विज ने आशीष तायल के साथ मुख्यमंत्री सैनी की तस्वीर शेयर करते हुए आरोप लगाया कि तायल सैनी के परम मित्र हैं, और विधानसभा चुनाव में तायल के साथ जो कार्यकर्ता दिख रहे हैं, वही कार्यकर्ता भाजपा की विरोधी उम्मीदवार चित्रा सरवारा के साथ भी नजर आ रहे थे।
इस पोस्ट में अनिल विज ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को “गद्दार” कहकर ठप्पा भी लगाया था। इससे पहले भी विज ने सैनी पर आरोप लगाया था कि वह मुख्यमंत्री बनने के बाद अब तक “उड़नखटोले” से नीचे नहीं उतरे हैं और उनका व्यवहार ऊपर ही बना हुआ है।
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विपक्ष ने भी साधा निशाना
मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री नायब सैनी के बीच की तनातनी को विपक्ष ने हाथों-हाथ लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार के 100 दिन पूरे होने पर अब कुछ कहने की जरूरत नहीं, क्योंकि विज साहब ने सब कुछ स्पष्ट कर दिया है। हुड्डा ने तंज कसते हुए कहा, “100 दिन तो हवा हवाई साबित हुए हैं, क्योंकि जो भी वादे किए गए थे, उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ।”
विपक्ष ने इस मसले पर राज्य सरकार की नाकामी और अनिल विज की बयानबाजी को लेकर तीखे सवाल उठाए हैं।
अभी तक की स्थिति
हरियाणा की राजनीति में इस समय अनिल विज और मुख्यमंत्री नायब सैनी के बीच तनाव बढ़ता हुआ नजर आ रहा है, जो राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। दोनों नेताओं के बीच के मतभेद और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति आगे आने वाले समय में और भी रोचक मोड़ ले सकती है।
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