हरियाणा के करीब 5 लाख नियमित कर्मचारी और पेंशनर्स को बड़ा फायदा मिलने जा रहा है। प्रदेश में 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने की संभावना है, जो 1 जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकती हैं। इस कदम से कर्मचारियों और पेंशनर्स की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
पूरी खबर
हरियाणा सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ी राहत देने का फैसला किया है। राज्य के करीब 5 लाख नियमित कर्मचारियों और पेंशनर्स को 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ मिलेगा। इनमें 2.75 लाख नियमित कर्मचारी और 2.35 लाख पेंशनर्स शामिल हैं।
केंद्रीय कर्मचारियों पर 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद, राज्य सरकारें अपने-अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को इसका लाभ देने की प्रक्रिया शुरू करेंगी। हरियाणा में इस समय कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन और पेंशन मिल रही है।
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राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ने की संभावना
7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद राज्य सरकार के खजाने पर करीब 6,500 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ा था। अब 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर यह बोझ बढ़कर 9,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। हालांकि, यह कदम राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक होगा।
विपक्ष ने उठाए सवाल
हरियाणा पहले से ही 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबा हुआ है। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स के हित को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
मजदूर संघों ने किया स्वागत
भारतीय मजदूर संघ और आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एंप्लाइज फेडरेशन ने 8वें वेतन आयोग के फैसले की सराहना की है। संगठन के क्षेत्रीय मंत्री पवन कुमार और अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें देरी से लागू हुई थीं, लेकिन इस बार सरकार को समय पर सिफारिशें लागू करनी चाहिए।
हरियाणा मजदूर संघ का बयान
भारतीय मजदूर संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि 8वें वेतन आयोग का लागू होना श्रमिक वर्ग के लिए एक बड़ी राहत है। उन्होंने इसके लिए सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि इससे श्रमिक वर्ग को बड़ी आर्थिक सहायता मिलेगी।
निष्कर्ष
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से हरियाणा के कर्मचारियों और पेंशनर्स को आर्थिक मजबूती मिलेगी। हालांकि, यह राज्य के वित्तीय प्रबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती भी साबित हो सकता है। सरकार को इसे समय पर लागू करने के साथ-साथ वित्तीय संतुलन बनाए रखने की भी आवश्यकता है।
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