हिसार। शहर में भूकंप आने के बाद उसकी तीव्रता, गहराई और केंद्र की सटीक जानकारी अब स्थानीय स्तर पर ही मिल सकेगी। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के हिसार कार्यालय में भूकंप मापक यंत्र लगाया जाएगा। इस यंत्र को लगाने के लिए जगह का प्रबंध हो चुका है। खास बात यह है कि यह यंत्र पूरी तरह स्वचालित होगा और इसके संचालन के लिए किसी व्यक्ति की जरूरत नहीं होगी। यह उपकरण भूकंप से जुड़े सभी डेटा को स्वतः चंडीगढ़ स्थित भूकंप वैधशाला को भेजेगा।
हिसार में IMD का इतिहास
भारतीय मौसम विभाग का कार्यालय हिसार में वर्ष 1914 में शुरू हुआ था। पहले यह कार्यालय गुजरी महल के पास पीली कोठी में संचालित होता था, जहां अंग्रेज अधिकारी इसका प्रबंधन करते थे। बाद में इसे नेशनल हाईवे 9 पर गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी (GJU) के पास स्थित कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
110 साल पुरानी तकनीक का अब भी उपयोग
IMD के इस कार्यालय में आज भी वही तकनीक इस्तेमाल हो रही है, जो अंग्रेजों के जमाने में थी। तापमान मापने के लिए अलग-अलग थर्मामीटर और बारिश मापने के लिए सामान्य वर्षामापी यंत्र का उपयोग किया जाता है। बारिश का मापन एक बीकर में पानी इकट्ठा करके किया जाता है। ओलावृष्टि की भविष्यवाणी के लिए पटियाला में लगे रडार की सहायता ली जाती है, जिसकी रेंज 200 किलोमीटर तक है।
भूकंप मापक यंत्र का प्रस्ताव
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने हिसार में भूकंप मापक यंत्र लगाने का प्रस्ताव मांगा था। करीब एक माह पहले यह प्रस्ताव भेजा गया था, और अब यह प्रक्रिया जल्द पूरी होने की उम्मीद है।
150वीं वर्षगांठ का आयोजन
मंगलवार को भारतीय मौसम विभाग की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सेवानिवृत्त कर्मचारी ओमप्रकाश और सहायक वैज्ञानिक सपना ने दीप प्रज्वलन किया। सभी कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाइव संबोधन सुना। इस अवसर पर मौसम विज्ञानी ए पंकज ने सभी कर्मचारियों को बधाई देते हुए निष्ठा और मेहनत से कार्य करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में सहायक वैज्ञानिक धीरज, सुनील ढाका, प्रदीप सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
विशेषज्ञ का बयान
पंकज, मौसम विज्ञानी ए, भारतीय मौसम विभाग, हिसार:
“राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने भूकंप मापक यंत्र लगाने का प्रस्ताव मांगा था। प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है और जल्द ही यंत्र यहां लगाया जाएगा।”
निष्कर्ष
भूकंप मापक यंत्र लगने से हिसार और आसपास के क्षेत्रों में भूकंप से जुड़ी जानकारी तेजी से उपलब्ध हो सकेगी। यह न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोगी होगा बल्कि स्थानीय निवासियों की सुरक्षा में भी सहायक साबित होगा।
Importent Link
Another post | Click Here |